नदीम अख्तर
हिन्दी गज़ल के जनक दुष्यंत कुमार का एक शेर है कि ‘सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही है, मेरी कोशि है कि ये सूरत बदलनी चाहिये’ लेकिन केन्द्र की भाजपा सरकार ने जो काम किये हैं वे इस शेर के बरअक्स किये हैं। भाजपा सरकार जो काम करती है जान बूझकर उसमे ऐसी कमियां छोड़ती है जिससे लोग विरोध करें और सरकार उस कमी का विरोध करने वालों को उस पूरे काम का विरोधी साबित करके उन्हे घेर सके।
1- जे एन यू मे देशविरोधी नारे लगे, जिन्होंने नारे लगाये, वीडियो मे दिख भी रहे हैं उन्हे आज तक नही पकड़ा, पकड़ लिया कन्हैया को जबकि वो किसी वीडियो मे नारे लगाता नही दिख रहा, लोगों ने उसकी गिरफ़्तारी का विरोध किया तो विरोध करने वालों को देशविरोधी नारों का समर्थक बता दिया।
2- सर्जिकल स्ट्राइक की तो सारा मुल्क, सारी पार्टी साथ खड़ी थीं, भाजपा को मज़ा नही आया तो बयान दिया कि ” सर्जिकल स्ट्राइक की प्रेरणा सरकार को संघ से मिली ” , लोगों ने इस बयान का विरोध किया तो विरोध करने वालों को सर्जिकल स्ट्राइक का विरोधी बता दिया।
3- कथित रूप से काला धन निकालने के लिए नोटबंदी की तो बिना तैयारी के कर दी, अव्यवस्था इतनी थी कि 100 से ज़्यादा लोग मर गये, नियम रोज़ बदले, लोगों ने इस अव्यवस्था का विरोध किया तो विरोध करने वालों को काले धन का समर्थक बता दिया।
4- जी एस टी लागू की तो वो बिना तैयारी के, नियम इतने पेचीदा कि किसी की समझ नही आये, लोगों ने इस आधी अधूरी तैयारी और पेचीदा नियमों का विरोध किया तो विरोध करने वालों को टैक्स का चोर बता दिया।
5- अब तलाक़ बिल पेश किया तो इतना अजीबो ग़रीब कि बिना तलाक़ दिये तीन साल की सज़ा रख दी, बिल ऐसा बनाया कि न मर्द को फ़ायदा न औरतों को, लोगों ने विरोध किया तो उन्हे महिला विरोधी, तलाक़ का समर्थक बता दिया।
इस सबमे मीडिया सरकार का साथ दे रही है, वो बहस कमियों पर नही बल्कि कमियों के विरोध को काम का विरोध बना कर करा रही है, इससे विपक्ष भी उलझा हुआ है और सरकार अपने समर्थकों की सहानुभूति भी बंटोर रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)